
गोपाल राय का जन्म एक किसान ब्राहमण परिवार में 10 मई 1975 को जिला मऊ (उ.प्र.) में हुआ। श्री राय इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के पश्चात आई. ए. एस अधिकारी बनने के सपने के साथ स्नातक के लिए इलाहाबाद विश्वविदयालय में दाखिला लेकर आई. ए. एस की तैयारी में जुट गये । पर इसी दौरान 1992 में देश के अंदर चारों तरफ मंदिर-मसिजद तथा आरक्षण-समर्थन व विरोध के नाम पर शुरू हुईं. मानवीय कत्लेआम की घटनाओं तथा देश की एकता के विखंडन के हालात ने श्री राय के मन को इतना विचलित कर दिया कि आपने आई. ए. एस बनने के सपने को तिलांजलि देकर आजीवन समाज व राष्ट्र की एकता के लिए काम करने का संकल्प लिया । लखनऊ विश्वविदयालय से परास्नातक की शिक्षा ग्रहण की, अर्इसा के प्रदेश महासचिव तथा राष्ट्रीय पार्षद चुने गये तथा पूरे प्रदेश में दंगा नहीं रोजगार चाहिए 'जीने का अधिकार चाहिए' आंदोलन तेज किया । श्री राय ने 1997 में समाज व राष्ट्र की एकता के लिए काम करने के साथ ही विश्वविदयालय में मंहगी शिक्षा एवं बढ़ते अपराधीकरण के खिलाफ छात्रों के साथ मिलकर आमरण अनशन किया जिससे सरकार को झुकना पड़ा एवं 14 अपराधियों को विश्वविदयालय से निष्कासित किया गया तथा कुलपति को हटाकर भ्रष्टाचार की जांच प्रारंभ हुईं। लेकिन इसके लिए श्री राय की जिंदगी दाव पर लग गयी। हार से बौखलाये भ्रष्टाचारियों व अपराधियों ने 18 जनवरी 1999 को श्री राय को धोखे से गोली मारी। गोली रीढ़ की हड्डी में आकर फंस गयी। श्री राय जिंदा तो बचे मगर गर्दन के नीचे का हिस्सा पूरी तरह निष्क्रिय हो गया। 7 वर्षों तक इलाज के पश्चात भी पूरी तरह सुधार नहीं हो सका। गर्दन में आज भी गोली फंसी हुईं है। जब यह पता चला कि हमारी सरकार हर 26 जनवरी व 15 अगस्त को जिस इंडिया गेट पर सलामी देती है उस पर हमारे आजादी के शहीदों का एक भी नाम नहीं है तो श्री राय ने शहीदों के सम्मान व उनके अरमान को पूरा करने के लिए 9 अगस्त 2009 से 23 अगस्त 2009 तक तीसरा स्वाधीनता आंदोलन के बैनर तले संसद भवन के पास दिल्ली में जंतर-मंतर पर 15 दिनों तक अनशन किया । श्री राय भ्रष्टाचार-मुक्त भारत के लिये प्रारंभ हुए जनलोकपाल आन्दोलन में सड़क से लेकर संसद तक के संघर्ष में सक्रिय रहे । 5 अप्रैल 2011 से शुरू हुए आन्दोलन में अन्ना हजारे के साथ श्री राय ने 5 दिनों तक अनशन किया । अगस्त आन्दोलन में भी श्री राय ने भूमिका निभाई एवं आन्दोलन को मजबूत करने के लिये 18 राज्यों का देशव्यापी दौरा किया । सरकार व संसद द्वारा वादे के बावजूद जनलोकपाल न बनने के खिलाफ 25 जुलाई से श्री अरविन्द केजरीवाल, श्री मनीष सिसोदिया आदि के साथ 10 दिन आमरण अनशन भी किया।
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